पिछले साल नवम्बर में जिले में कुपोषण प्रतिशत 45.12 से घटकर फरवरी में कुपोषण का प्रतिशत घटकर 33.78 फीसदी रह गया है। ये उपलब्धि तीन महीने के अंदर प्रशासन ने पाई है। बुधवार को कलेक्टोरेट सभागार में योजनाओं की समीक्षा बैठक में सीएस आरपी मंडल को इसकी जानकारी कलेक्टर चंदन कुमार ने दी।
कलेक्टर ने बताया कि जिले में कुपोषण को समाप्त करने के लिए हितग्राहियों को अतिरिक्त पोषण आहार उपलब्ध कराने के साथ ही उनका प्रत्येक माह वजन लिया जा रहा है। अधोसंरचनाओं की कमी को दूर करने के लिए नए आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण करने के साथ ही कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की भर्ती की जा रही है।
बच्चों, शिशुवत व गर्भवती महिलाओं गर्म भोजन, अण्डा, रागी हलवा आदि उपलब्ध कराए जाने के सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। बैठक में संस्कृति विभाग के सचिव पी अन्बलगन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी व संजय शुक्ला, पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज, कलेक्टर चंदन कुमार, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा, वन मंडलाधिकारी आरडी तारम, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
जिले के 2.86 लाख लोगों को मलेरिया: कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि मलेरियामुक्त बस्तर कार्यक्रम के प्रथम चरण में जिले के 2 लाख 86 हजार से अधिक लोगों के रक्त की जांच में 16599 लोगों में मलेरिया के परजीवी पाए गए हैं। सीएस ने इन सभी का संपूर्ण उपचार सुनिश्चित करने के साथ ग्रामीणों को मच्छरदानी के उपयोग के लिए प्रेरित करने
के निर्देश दिए।
राज्य सरकार 6.5 करोड़ रुपये की लघु वनोपज खरीदेगी
इस अवसर पर सीएस आरपी मंडल ने कहा कि जिले में कुपोषण खत्म करने व मलेरिया उन्मूलन के साथ वनवासियों को आर्थिक रूप से मजबूत करना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। ज़रुरत है सरकार की योजनाओं का मैदानी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन करने की। वनवासियों की आजीविका का मुख्य साधन लघु वनोपज ही हैं। तेंदूपत्ता एक मुख्य लघु वनोपज है, जिसकी दर वर्तमान में सरकार ने दो हजार पांच सौ रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर चार हजार रुपए की है। इससे वनवासियों की आय में बढ़ोत्तरी हुई। इस साल राज्य शासन ने लघु वनोपज समितियों और महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से जिले में लगभग साढ़े छह करोड़ रुपए के लघु वनोपज के क्रय का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए महिला स्वसहायता समूहों को आर्थिक रुप से सशक्त करने के साथ ही आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। लघु वनोपजों की नगद खरीदी के लिए भी प्रबंध किए जा रहे हैं।